बुधवार, 30 दिसंबर 2009

नये साल की चुनौतीपूर्ण बधाई

साथियों,
ईक्कीसवीं सदी के पहले दशक की समाप्ति की ओर ले जाने वाला यह साल बीत रहा है और हमारा विश्‍वविद्यालय एक मध्ययुगीन काल की तरफ़ लौट रहा है। हम लौट रहे हैं, राजशाही के फ़रमानों जैसे फ़रमान के अंधेरे युग की तरफ़, हमें उन मूल्यों की तरफ़ लौटने पर विवश किया जा रहा है, जिन्हें बीती हुई पीढ़ीयों ने मनुष्‍यता के हित में कुछ सौ साल पहले छोड़ दिया था. आपके छात्रावास तक वह “सूचना”, क्षमा करें, इसे फ़तवा ही कहा जाना चाहिये?, पहुंच चुका होगा जिसमें पुरूष छात्रावास में छात्राओं का प्रवेश निषेध किया जा चुका है.
यह समय था बीते हुए साल के आंकने का, हिन्दी समाज और विश्वविद्यालय के निर्माण पर सोचने का, लेकिन यह सब कुछ नहीं हुआ…… साल बीतने के साथ जिस असमानता को कुछ और कम होना था, जिन मसलों को सुलझ जाना था, उसे एक मध्ययुगीन सामंत की मानसिकता के प्रॉक्टर द्वारा और बढ़ाये जाने का काम किया जा रहा है, जो सड़े-गले मूल्यों को थोप कर छात्र-छात्राओं पर शासन करने का प्रयास कर रहे हैं.
अगले बरस के फ़रमान शायद छात्र-छात्राओं के अलग कक्षा में अध्ययन-अध्यापन के हों, फिर शायद, अगला बरस छात्र-छात्राओं के आपस में बात-चीत पर दंड का प्रावधान लेकर आए और उसके अगले बरस विश्वविद्यालय में छात्राओं के प्रवेश पर.... निषेध! तब शायद हमें आश्‍चर्य और अफ़सोस करने तक का मौक़ा न मिले। क्या तीन वर्ष बाद आप इस विश्‍वविद्यालय को ऐसा ही देखना चाहेंगे?
हम उन छात्र-छात्राओं और विश्वविद्यालय के उन सभी सदस्यों, जो इस असमानता को कम करने की ख़्वाहिश रखते हैं, की तरफ़ से इस फ़तवे की तीखी निंदा करते हैं.
विश्वविद्यालय के आलाअधिकारियों, जेंडर असमानता को कम करने की मुहिम में लगे प्रगतिशील अध्यापक-अध्यापिका एवं छात्र-छात्राएं नये वर्ष की बधाई के साथ इस मध्य-युगीन मूल्यों के फ़तवे की चुनौती को स्वीकार करें।

दख़ल की दुनिया ब्लॉग
www.dakhalkiduniya.blogspot.com
वर्धा मेल से प्राप्त

1 टिप्पणी:

  1. HUM TO NINDA KARATE HAI IS GHATIYAI AALEKH KI YADI YAH HAI TO. ANUSHASHAN TO UNIV ME HONA CHAHIYE. KEVAL HOSTEL ME AANE JAANE SE UNIV KA VIKAS NAHI HOGA. LIKHANE VALA ASAL ME EK KHAS KISM KE ROG SE GRASIT MALOOM HOTA HAI.
    ALGU

    जवाब देंहटाएं